Wednesday, January 27, 2021

दूर गांव ⛪


ऊँचा रास्ता , छूटा गाँव |  

                        बना पुल और टूटी नांव | 

भागी गाड़ी , बूढ़ा बैल | 

                        चलता था जो नंगे पैर || 




पके बाल और मोटी नानी | सादी धोती , आँखों में पानी || 

छत पर मोर और टूटे पंख | भूरी मौरंग और ढूंढे शंख ||

खुला आँगन , चौड़ी दीवार | ३६ आले और छोटा किवाड़ || 

बीच में चूल्हा , चूल्हे में रोटी | बगल में सिलवट्टा , चटनी घोटी || 

सुबह की चाय , रात में दूध | अटरिया में बिस्तर , जगाए खुद धूप || 

ज़ेब में कंचे , ताश का खेल | मिट्टी के चक्के , धागे की रेल || 

नीम का पेड़ , निबौरी की दवा | धूप भर खेले , लू की हवा || 

ऊँची सीढ़ी , कुप्पी का धुआं | मामा की दुकान और गहरा कुंआ || 





बनी सड़क और टूटा गाँव |  

                        घनी धूप और छूटी छांव | 

आगे शहर और पीछे गाँव | 

                        बूढ़ा गाँव और टूटी नांव || 


- NK

No comments:

Post a Comment