Friday, January 22, 2021

!! पुराना मौहल्ला !!

                                              

पुराना है मौहल्ला , और हलकी सी शाम है | 

सीसामऊ है नाम , और नाम बदनाम है || 


आधे में खाट , और आधे में दूकान है | 

संकरी है सड़क , और गाड़ियां भी तमाम है || 

गलियों का जाल , और गालियों की गूँज है | 

मुँह में मसाला , और दीवारें लाल थूक हैं || 

उलझे हैं तार , और बिजली फिर फरार है | 

हर घर की खिड़की से निकला , एक कटिया वाला तार है || 

नाली है गहरी, और थैलियों से जाम है | 

उसमे पड़ी एक गेंद, निकाले रुपया इनाम है || 

लौंडे छत पर चढ़े , पतंग खींचते हैं | 

बाकी बचे जो छोटे , लंगड़ लिए खड़े है || 

तोतों के झुंड घर को , उड़ते ही जा रहे हैं | 

कुछ थक रहे हैं थोड़ा, नीमों में आ रहे हैं || 

मंदिरों की घंटियाँ , और मस्जिद की नमाज़ है | 

रात हो रही है , और मम्मी ने दी आवाज़ है || 

पानी चला गया है , मोटर अभी भी ऑन है | 

छत को भी पिलाया पानी , गरमी से अब आराम है || 

ढ़ाल से वो आती , स्कूटर की जो आवाज़ है | 

भाग कर हम जाते , पापा की वो जो आस है || 

साथ मिलकर खाते , के बी सी देखते हैं | 

अब नींद आ रही है , जी हम लेटते है || 


आँख बंद कर के , फिर मौहल्ला देखते हैं | 

सड़क देखते हैं , वो गली देखते हैं | 

घर को देखते हैं , और खुद को देखते हैं | 

खुद को देखते हैं , और खुश देखते हैं || 


- NK 

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